Sunday, June 20, 2010

हार नहीं केवल होती है जीत

            जीवन में संघर्ष जीत और हार के लिए नहीं होता। यह आदमी का सबसे बड़ा भ्रम होता है जो वह यह कहता है कि उसने संघर्ष किया फिर भी वह हार गया। हार कभी संघर्ष से प्राप्‍त ही नहीं हो सकी। संघर्ष से तो केवल प्राप्‍त हो सकती है जीत। संघर्ष जीत के लिए ही किया जाता है। हार तो आपके पास हमेशा है उसको पाने के लिए आपको किसी तरह का संघर्ष नहीं करना । आप संघर्ष नहीं करोगे तो हार अपने आप ही आपका दामन थाम लेगी। व्‍यक्ति को धैर्यवान होने की जरूरत है किसी भी चीज को पाने के लिए आपको संघर्ष तो करना ही होगा ।


             जब हम संघर्ष करते है तो हो सकता है की हमें अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलें। पर इससे अपने आपको मायूस करने की आवश्‍यकता नहीं है ऐसा होता ही रहता है ।इस मामले में मेरा मानना है की जब हम किसी लक्ष्‍य को लेकर  संघर्ष शुरू करते है तो हमारी लिखित परीक्षा शुरू हो जाती है जिसमें हमें कई मुश्किलों का सही जवाब देना होता है हमारी लगन और धैय से हम अपने लक्ष्‍य के लिए आगे बढ़ते है । लेकिन कई बार पूरी लगन से मेहनत करने के बाद हमें परिणाम नहीं मिलता है तो इस स्थिती में हमें मायूसी नहीं होना चाहिए। जब इस तरह की स्थिती आती है तो हमें जरूर लगता है की हम असफल हो गये है। मेहनत का परिणाम नहीं मिलता और हम अपने आगे के प्रयासों को रोककर असफलता को थाम लेते है। उस विषय से अपना मन हटा लेते है। हमें जरूर लगता है की हम असफल हो गए पर वास्‍तव में यह वक्‍त हमारा लिखित परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्‍कार का होता है। इस साक्षात्‍कार में यह तय किया जाता है की आपके पास कितना धैय है,कितना विवेक है और आप आने वाली इन विषम परिस्थितियों में अपना व्‍यवहार किस तरह का रखते हैं। होता यह है की हममें से अधिकांश लोग इस साक्षात्‍कार में बैठते ही नहीं और असफलता का दामन थाम कर विषय से भटक जाते है और अपना रोना रोते नजर आते है।
                     एक बहुत अच्‍छी बात है कि सिद्धि यदि एक मिनिट में मिलती तो हम व्‍यक्ति सिद्धि को प्राप्‍त कर लेता। ऐसा नहीं होता है जो संघर्ष करता है उसके पास सिद्धि आती है। यह संघर्ष भी उस हद तक किया जाता है की संघर्ष आप से सहम जाए।
                    मेरे साथ हाल में एक वाक्‍या हुआ । मेरे मित्र ने जीवन के एक लक्ष्‍य को पाने के लिए बहुत ईमानदारी से काफी लंबा संघर्ष किया। हर बात उसके के पक्ष में होती नजर आ रहीं थी। वह अपने लक्ष्‍य के इतने करीब था की जैसे बहुत कीमती वस्‍तु जिसको हम वर्षो से पाने के लिए प्रयासरत है और उसको को उठाने के लिए हाथ बढ़ने का समय आया तो एक विश्‍वास पात्र ने उसे धक्‍का दे दिया और लक्ष्‍य हाथ से आते-आते ही निकल गया। आप इस स्थिती को समझ सकते है उस समय उसकी हालत क्‍या हो सकती है। मेरा मित्र जिसने इतना संघर्ष किया  उसका हाल तो बेहाल था ।मैं उसकी स्थिती को अच्‍छी तरह से समझ रहा था  ऐसी परिस्थिती में अक्‍सर लोग भटक जाते है।
             मैं और मेरा मित्र एकांत कमरें में चिंतन कर रहें थे कि मेरी आखों के सामने चीटियों का झुंड दिखायी जिसमें से कुछ चीटियां अन्‍न के छोटे-छोटे से टुकड़े के साथ सामूहिक रूप से दरबाजे के सहारे ऊपर चढ़ रहीं थी।कई बार ऐसा हुआ की वे अपने लक्ष्‍य के करीब पहुंचने पर भी गिर जाती थी । मैने देखा की वे हताश नहीं होती थी और फिर सामूहिक प्रयास करने लगती थी एक बार दो बार और तीन बार गिरने के बाद वे चौथी बार में अपने प्रयास में सफल हुई। इस दृष्‍य को देखकर मेरे अंदर एक अजीब सी ऊर्जा का संचार होने लगा । मुझे लगा असफल होने से सब कुछ खत्‍म नहीं होता ।हम फिर से कोशिश करेंगे और जब तक सफल नहीं हो जाते तब तक कोशिश करते रहेंगे। मैने अपने दोस्‍त को समझाया और आपको इस बात को जान कर आश्‍चर्य होगा की जब हम शाम को एक मंदिर में संघर्ष को फिर से शुरू करने के लिए चिंतन कर रहे थे तब हमने सारे पक्षों को अपने सामने रखा तो हम लोग उस समय चकित हो गये जब हमें यह लगा कि हमारे साथ जो कुछ हुआ पर हमारे पक्ष में ही था। यदि यह असफलता हमें नही मिलती तो शायद हम अपने लक्ष्‍य को कभी नहीं पा सकते थे। जिसको हम असफलता मानकर अवसाद में जा रहे थे असल में वह स्थि‍ती ही हमारी सफलता की चाबी थी। मैंने अपने मित्र से कहा की हमने लक्ष्‍य को पाने वाली लिखित परीक्षा पास कर ली और अब इस असफलता के साथ हम सीधे साक्षात्‍कार में पहुंच गये। हमें इस बात से इतना आश्‍चर्य हुआ की लक्ष्‍य प्राप्ति के दौरान होने वाली असफलता हमारे लक्ष्‍य प्राप्ति का दरबाजा है ।
                  मुझे जो एक नई अनुभूति स्‍वयं हुई उससे मैं आपसे शेयर करना
      चाहता था। मुझे फिर ऐसा लगा की अक्‍सर ऐसा हो जाता है की असफलता
      के बाद हम उस  विषय के बारे में सोचना छोड़ देते है। पर ऐसा नहीं होना
      चाहिए हमें चिन्‍तन करना चाहिए की क्‍या वजह रही की हम असफल हुए और
      हमेशा सकारात्‍मक नजरिए से की ऐसा होने पर मुझे कितना फायदा हुआ तो
      आप  देखेगें की आपको हर परिस्थिति अपने पक्ष में लगेगी और आप अपने
      लक्ष्‍य को जरूर प्राप्‍त करेंगे। 

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर लेख , संघर्ष ...असफलता ...वो सीढ़ी चढ़े बिना मंजिल की आख़िरी सीढ़ी तक कैसे पहुँचते ।
    जिसको हम असफलता मानकर अवसाद में जा रहे थे असल में वह स्थि‍ती ही हमारी सफलता की चाबी थी।
    बहुत सुन्दर बात ...

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