Saturday, June 5, 2010

भविष्‍य होता नहीं बनता है हमारे विचारों से

भविष्‍य क्‍या है मैं इस प्रश्‍न के उत्‍तर के लिए काफी भटकता रहां और अंत में मुझे पता चला की भविष्‍य कुछ नहीं होता। भविष्‍य  लेकर हम अपना और अपने बच्‍चों का वर्तमान खत्‍म कर रहे है। वास्‍तव में भविष्‍य के नाम पर सुखद कल्‍पनाएं होती है जो हम कर सकते है । कल्‍पानाएं ही जीवन का आधार है, नक्‍सा  है । जिन पर हमारे जीवन की इमारत खड़ी है । भविष्‍य में केवल इतना होता है कि हम अपने जीवन का एक नक्‍सा बना लेते है और उस नक्‍से के आधार पर वर्तमान में हमें अपने क्रिया कलापों को अपने विचारों को  इस तरह ढालना होता है की जो जीवन की दीवारें हम बना रहे है वे भविष्‍य की कल्‍पना के आधार पर बने नक्‍से से  मेल खाती हो। इससे यह बात तय होती है कि  जो कुछ भी होता है वह वर्तमान में ही होता है । भविष्‍य में करने के लिए कुछ नहीं होता। पर अक्‍सर होता यह है कि हम हमेशा भविष्‍य को लेकर चिंतित रहते है अपने अपने परिवार के बच्‍चों के भविष्‍य की चिंता में माता पिता सूख कर कांटा हो जाते है । फिर भी वे भविष्‍य सवांरनें की गारंटी नहीं ले पाते। मुझे इस बात में सबसे ज्‍यादा आश्चर्य होता है कि जिस थाली को हमने खाया नहीं हम बिना खाए उस थाली के बारे में कमेंट कैसे कर सकते है । थाली का स्‍वाद अच्‍छा है या खराब यह तो हमें चखने पर ही पता चल पाएगा।
मेरे एक मित्र है वे हमेश अपने बच्‍चों के भविष्‍य के लिए परेशान घूमते रहते है।उनका बच्‍चा 12 वीं की परीक्षा में बैठा वे मुझे मिले तो बडे़ हैरान थे। मैने उनसे पूंछा की भई क्‍या बात है परेशान लग रहे हो तो वे बोले की बच्‍चे ने परीक्षा दी है । रिजल्‍ट क्‍या आता है इस बात को लेकर परेशान हूं । यदि अच्‍छे अंक नहीं आए तो बच्‍चे का क्‍या होगा। हाल में रिजल्‍ट आया उनका बच्‍चा अच्‍छे अंको से पास हुआ मैने उन्‍हें बधाई देने उनके घर पंहुचा तो वे पहले से ज्‍यादा परेशान मिले । मैने पूंछा भई अब तो रिजल्‍ट आ गया बच्‍चा अच्‍छे अंकों से पास होगया अब क्‍यों परेशान हो तो उनका कहना था कि भई अच्‍छे अंक से पास हो गया इसलिए और चिंता बढ़ गई अब आगे क्‍या पढ़ाई कराना है जिसमें भविष्‍य हो इसको लेकर परेशान हूं।
लोग वेबजह ही परेशान है जिस भविष्‍य की इतनी ज्‍यादा चिंता करते है वह होता ही नहीं यह कोई समझना ही नहीं चाहता। केवल  होता है वर्तमान ।हम जो भी करते हैं उसका हमे परिणाम मिलता है,होसकता है कि कुछ का परिणाम देर वे  मिले कुछ का तुरंत,पर सब कुछ वर्तमान में होता है। हम स्‍वयं तो वर्तमान में जीना नहीं चाहते क्‍योकि हमें हकीकत से डर ल गता है। इसलिए अपनी अकर्मण्‍डता के चलते हम अपने परिवार और अपने बच्‍चों को भविष्‍य की कोरी कल्‍पनाओं को  हकीकत बताकर उन्‍हें इस बात के लिए तैयार करते है की हम भविष्‍य को लेकर चिंतित है।वर्तमान में तुम जो भी करों वह हम नहीं देख रहे पर तुम्‍हारे भविष्‍य के प्रति सचेत है । यह क्‍या बात हुई मुझे समझ नहीं आती । हमें भविष्‍य में नहीं वर्तमान में ही जीना सिखना होगा और अपने परिवार को भी वर्तमान में जीने की आदत डालनी होगी। वर्तमान अच्‍छा होगा यथार्थ  के धरातल पर होगा तो भविष्‍य अपने आप ही अच्‍छा हो जाएगा इसकी गारंटी है।
              मेरे एक मित्र जो मेरे साथ काम करते है वे हमेशा डर डर कर काम करते है।मैं उससे अक्‍सर पूंछता हूं कि जब तुम हमेशा सही होते हो तो डर कर काम क्‍यो करते हो तो उसका एक सीधा जबाव होता है की तुम्‍हारे पर तो कई काम है पर मेरे पास विकल्‍प नहीं । यदि मैने जबाव सवाल किया तो मेरी नौकरी चली जाए या ट्रांसर्फर हो गया तो मेरा और परिवार  भविष्‍य क्‍या होगा। इस तरह जीवन से डरना कहां का सही है भविष्‍य कभी नहीं होता। भविष्‍य हमे बनाना होता है और वह बनता है अपने विचारों से हमारे वर्तमान के क्रिया कलापों से यह बात कब लोगों के समझ आएगी और वे वर्तमान में जीना सीखेंगे।










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