Tuesday, May 25, 2010

आत्‍मा के कक्षों में विजय से मिलेगी शांति और दिव्‍य दृष्टि

सबसे बड़ा महायुद्ध हमारे अंदर आत्‍मा के कक्षों में चलता है । हम आत्‍मा के कक्षों में चल रहे इस महायुद्ध को जीत ले,तो हमें जो मिलेगा वह हमें बड़े से बड़े युद्ध में विजय प्राप्‍त करने के बाद भी नहीं मिल सकता।हम अपनी आत्‍मा के कक्षों में हजारों लोगों  एवं विचारों को स्‍थाई निवासी बनाकर बिठा लेने है।और उनसे लगातार लड़ाई करते है ।रोज सैकड़ों की तादात में लोगों और विचार  हमारी  आत्‍म के कमरों में निवास बना रहें है और  हमारी शांति को खत्‍म कर दिया है। 
                होना यह चाहिए की हमें रोजाना शाम को अपनी आत्‍मा के कक्षों में झांक कर देखना चाहिए कि कहॉं किस तरह के लोग और विचार हमारी आत्‍मा में रहने आ गए है । हमें गंदे लोगों और गलत विचारों को तुरंत आत्‍मा के कक्षों से बाहर कर उनकी जगह तुरंत अच्‍छे लोगों एवं विचारों को स्‍थापित करना चाहिए। यदि हम इस आत्‍मा के युद्ध पर विजय पा लेते है तो हमें मिलगी शांति एक दिव्‍य शांति । हमें एक ऐसी दृष्टि मिलेगी जिससे हम दूसरों को प्‍यार करना सिखेगें।जब हम दुसरो से प्‍यार करना सीख जाएगें तो हमारी सारी समस्‍याएं हल हो जाए
मेरा एक अनुभव है कि आदमी जब बड़े ओहदे पर पंहुचता है तो उसके साथ कुछ इस तरह की समस्‍याएं साथ आ जाती है। मेरे एक मित्र है जो की बहुत बड़े पद पर पहुंच गये है। एक दिन उनसे मुलाकात हुई तो वे बडे़ परेशान  थे मैने पूंछा भाई क्‍या बात है अब उदासी कैसी,इतने बड़े पद पर काम कर रहें हो तुम्‍हारे नीचे पचासों लोग काम कर रहे है फिर क्‍यों परेशान हो। उसने बताया की रात को मुझे नींद नहीं आती । मेरा मस्तिक सोता नहीं है,हमेश एक अंजान भय बना रहा है। 
मैं उसका नेचर जानता था ।वह शकी किस्‍म का इंसान है। उसकी बात समझ गया क्‍योंकि अक्‍सर ऐसा होता है कि लोग अपने साथ काम करने वालों को लेकर इतनी ज्‍यादा भ्रांतियॉं पाल लेते है कि वे दिन रात उन्‍हें ही सुलझाते रहते है । फलां आदमी ऐसा है उसने ऐसा कर दिया जरूर उसका को स्‍वार्थ है। मैने इसे डांटा इसके ऊपर संपर्क है मेरी शिकायत ना हो जाए। मेरी नौकरी ना चली जाए।आज इसको सबक सिखना है। ये मेरे विरोधी के पास क्‍यो बैठ रहा है । इस तहर की कई बाते जहन मे होती है । इससे होता कुछ नहीं है क्‍योकि हम तो केवल एक निश्‍चित अवधारण के तरह लोगों के प्रति दृष्टिकोंण बनाते है और उसी को लेकर सोचते है जिससे ऐसा माहौल पैदा होता है।
होना यह चाहिए की कोई कुछ भी करें पर हमे अपने काम को सही ठंग से अंजाम देना चाहिए और छोटी छोटी गलतियों को यदि वे नुकसान नहीं पहुंचाती तो नजरअंदाज करना चाहिए । हमें अपने ओहदे के हिसाब से अपने मानसिक स्‍तर को बढ़ना चाहिए। इस सब में सबसे बड़ी बात यह होती है कि आप अगर अपना काम ईमानदारी के साथ करते हो तो कोइ आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आप अपने ऊपर विश्‍वास पैदा करलेते हो तो इस तरह की कई समस्‍याओं से छुटकारा मिल सकता है

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