Friday, May 21, 2010

जोखिम भरा स्‍वांत:सुखाय

मैं पिछले 15 साल से देश के प्रतिष्ठित अखबार दैनिक भास्‍कर के सागर संस्‍करण में फोटो जर्नलिस्‍ट के रूप में जुड़ा हूं। बहुत छोटी उम्र से फोटो पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं।
इस दौरान मुझे कई खट़टे-मीठे अनुभव मिले। इन अनुभवों ने मेरी दिशा बदल दी। बहुत सी आदतें छोड़ी दी तो कई सीखें मिली। चूंकि फोटो पत्रकारिता सीधे जनता से जुडी है इसलिए जोखिमभरी भी है और स्‍वांत:सुखाय भी है। कभी-कभी यह भी महसूस हुआ कि कई मौकों पर मैं संवेदनहीन भी हो गया हूं। लेकिन ऐसा नहीं इस संवेदनहीनता में ही लोगों में संवेदनशीलता की भावना जागृत करने की कोशिश भी नजर आई।
ऐसे कई किस्‍से मेरे साथ हुए जो समय-समय पर आपके साथ बांटूंगा। आपकी प्रतिक्रियाएं, सुझाव मुझे नई दिशा देंगे। जय हिंद ।

1 comment:

  1. ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है। मेरे ब्‍लॉग संजय उवाच पर भी पधारें।

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