Tuesday, June 8, 2010

उतेजना प्रोफेशनल लाइफ में घातक

               जीवन में परिस्थितियां मनुष्‍य के अंदर द्वंद्व उत्‍पन्‍न करती रहती है कई बार मनुष्‍य दूसरों के कहने से उतेजित हो जाता है और कभी अपनी बातों के द्वारा दूसरों को  उतेजित कर देता है । प्रोफेशनल लाइफ में यह दोनों की तरह बाते घातक हो सकती है हमें हमेश इन बातों से बचना चाहिए । ऐसी परिस्थित में मनुष्‍य को स्‍वधर्म का से समस्‍याओं का सुलझाना चाहिए।        
             एक बार एक राजा भ्रमण पर निकला तो उन्‍होंने देखा की एक शेर गाय को भोजन बनाने के लिए आतुर है। गाय राजा की शरण में आ गयी, तो राजा ने शेर से कहां कि यह अब मेरे शरणागत है मैं तुम्‍हे इसे नहीं मारने दूंगा। इस पर शेर बोला हे राजन तुम यहां से चले जाओ ये गाय मेरा भोजन है और इसको मारना मेरा स्‍वधर्म है तुम इसके बीच में मत आओ। राजा बोला में क्षत्रिय राजा हूं मेरा स्‍वधर्म शरणागत की रक्षा करना है। अब तुम बताओं की जब किसी का स्‍वर्धम दूसरे के स्‍वर्धम से टकराता है तब क्‍या करना चाहिए ।इस बात पर राजा बोला की मूर्ख लोग आपस में लड़ने की चेष्‍टा करते है और बुद्धिमान लोग बीच को कोई रास्‍ता निकालते है। अब हमें कुछ इस तरह का रास्‍ता निकालना होगा। इस पर राजा बोला की तुम इस गाय को जाने दो और इसकी जगह तुम मुझे खा कर अपनी भूख शांत कर लो । शेर बोला हे राज शूरवीर हो तुम अतुल धन संपत्ति के स्‍वामी हो तुम क्‍यो इस तुच्‍छ प्राणी के लिए अपने जीवन को दांव पर लगा रहे हो । राजा ने बोला तुम्‍हार स्‍वधर्म है इस गाय को मार कर अपनी भूख का शांत करना और क्षत्रिय का धर्म है रक्षा करना यदि मै ने इस गाय की रक्षा ना की तो मेरे वंश का गौरव खत्‍म हो जाएगा और जिस वंश में राम ,लव कुश,हरीशचंद्र जैसे महापुरूष है वे मेरे इस जीवन को कायर कहेंगे तो ऐसे जीवन से मर जाना अच्‍छा है। राजा ने अपने शरीर को सिंह के समझ समर्पित कर दिया।        
              कहा भी जाता है की भय उससे भय खाता है जिसको भय से भय नहीं खाता । परीक्षा पूर्ण हुई और परीक्षार्थी उत्‍तीर्ण हुआ और परीक्षक हारा। स्‍वधर्म का पालन करने से बड़ी से बड़ी मुश्किलों से छुटकार मिल सकता है। 
मुझे यह बात इस लिए ध्‍यान में आयी क्‍योकि मेरे अजीज मित्र है एक दिन वे मुझे मिले और मुझे आपने एम्‍पलायर से परेशानी के बारे में मुझे बताने लगे । एम्‍पलायर हमेशा शक करता है उसको छोटी छोटी बातों को वे वजह बढ़ाचढ़ा कर करने की आदत है जिससे मेरी हमेशा उससे गिचड़ होती है। मुझे लगा मेरा मित्र वाकये परेशान है। मैं उसकी इस परेशानी को इस लिए भी अच्‍छे से समझ रहा था क्‍योकि अक्‍सर ऐसी परेशानी से हर कोई जुड़ा है जो अपने एम्‍पलायर से संतुष्‍ट नहीं होता है और इस तरह की मानसिक पीड़ा को झेलता रहा है। मुझे उसकी बात सुनकर एक बात याद आयी जो मैने कहीं पड़ी थी।

यदि मेरा मन इस बात को मान ले कि फलां व्‍यक्ति जो कह रहा है
वह सही है तो
सारी समस्‍याओं का सारे विवादों का वही अंत हो जाता है।


       इस बात से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है । मेरे मित्र को मैने यह बात बतायी और उससे कहां की इस का प्रयोग कर देखे।हालांकि वह काफी दिनों से मुझे मिला नहीं पर में उम्‍मीद करता हूं कि वह सलामत होगा।

4 comments:

  1. kahaanii ke alaawaa kuchh bhi spasht nahin huaa. shaayad mujhme itnaa dhairy nahin ki main ise dubaaraa padhun.

    ReplyDelete
  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    ReplyDelete